जब Saad Rahim, मुख्य अर्थशास्त्री Trafigura Group ने 14 अक्टूबर 2025 को भारत में सोने की कीमत के इतिहासिक स्तर का जिक्र किया, तो सभी को पता चल गया कि सोना अब भारत में 10 ग्राम पर ₹1.30 लाख के पीछे नहीं, बल्कि आगे भी जा सकता है। उसी दिन रजत की कीमत 1 किलोग्राम पर ₹1.85 लाख तक पहुँची, जिससे निवेशकों को एक नया सुरक्षा‑शरण मिल गया। यह उछाल केवल घरेलू मांग से नहीं, बल्कि अंतर‑राष्ट्रीय बाजार, डॉलर की कमजोर स्थिति और केंद्रीकीय बैंकों की सक्रिय खरीद से प्रेरित था।
इतिहासिक पृष्ठभूमि और पिछले साल की तुलना
पिछले वर्ष 29 अक्टूबर 2024 को धंतैरा में सोने की औसत कीमत लगभग ₹78,840 प्रति 10 ग्राम थी। उसकी तुलना में अक्टूबर 2025 के मध्य में यह कीमत लगभग ₹1.28 लाख पर पहुँच गई – यानी 63 % की भारी बढ़ोतरी। इस गति को देखकर विशेषज्ञों ने कहा कि यह 12‑माह में सबसे तेज़ उछाल है, जो पिछले पाँच वर्षों में नहीं देखी गई। Ventura Securities के अनुसार यही अवधि में सोना 66 % यील्ड‑टू‑डेट बढ़ा है, जबकि विश्वभर में 58 % की उछाल दर्ज की गई।
प्रमुख कीमतों का विस्तृत विवरण
ऑक्टोबर 15 को 24‑कैरेट सोना ₹12,889 प्रति ग्राम, यानी ₹1,28,890 प्रति 10 ग्राम, पर ट्रेड हुआ। 22‑कैरेट की कीमत ₹11,815 प्रति ग्राम और 18‑कैरेट की ₹9,697 प्रति ग्राम रही। इन आंकड़ों के पीछे एक निरंतर दैनिक वृद्धि थी – 24‑कैरेट में केवल एक दिन में ₹54 का इज़ाफ़ा, और 22‑कैरेट में ₹50। सिल्वर की बात करें तो अक्टूबर 14 को उसकी कीमत ₹1.85 लाख प्रति किलोग्राम पर पहुँच गई, जो पिछले महीने की तुलना में 17.22 % की तेज़ उछाल थी।

आंतरराष्ट्रीय और घरेलू कारण
दुनिया भर में सोने की कीमतों ने भी तेज़ी पकड़ी। मिड‑ऑक्टोबर में स्पॉट गोल्ड $4,227 प्रति औंस तक पहुंच गया, जिससे यह $4,000 की सीमा को भी पार कर गया। यह 45 सालों में सबसे बड़ा वार्षिक रिटर्न (58 %) बन गया। सिंगापुर में उसी दिन कीमत $4,218.74 प्रति औंस रही, जबकि Bloomberg Dollar Spot Index लगातार तीसरे दिन 0.2 % गिरा। अमेरिकी डॉलर की निरंतर गिरावट, फेडरल रिज़र्व के रेट‑कट की उम्मीदें, और यू‑एस‑चीन व्यापार तनाव ने इस धुरी को और मज़बूत किया।
इसी बीच भारत में रुपये का डॉलर के मुकाबले लगातार गिरना एक और प्रमुख कारण रहा। रिज़र्व बैंक ऑफ़ इंडिया (RBI) ने जुलाई‑अक्टूबर अवधि में रुपये के मूल्य में 4 % की कमी दर्ज की, जिससे सोने की कीमतों पर अतिरिक्त दबाव बना। साथ ही, धंतैरा और दीवाली जैसी उत्सव‑सीज़न में खरीदारों की संख्या बढ़ी, जबकि हल्के वजन वाले सोने और छोटे सिक्कों की माँग में भी वृद्धि हुई।
बाजार विशेषज्ञ और केंद्रीय बैंकों की प्रतिक्रियाएँ
"भौतिक खरीदारी ही इस रैली का मुख्य चालक है," Saad Rahim ने कहा। वह आगे जोड़ते हैं कि "केंद्रीय बैंक, खासकर एशिया में, बड़ी मात्रा में सोना खरीद रहे हैं, जिससे बाजार में स्थिरता और भरोसा बनता है।" वही बात Anil Kumar, मुख्य विश्लेषक Ventura Securities ने भी दोहराई – "यदि कीमतें ₹1,30,000‑₹1,35,000 की रेंज से ऊपर जाती हैं, तो अगले सप्ताह तक संभावित समर्थन स्तर ₹1,21,000 पर रहेगा।"
केंद्रीय बैंकों की खरीदारी को और स्पष्ट करने के लिए, अक्टूबर 2025 में विश्वसनी सूचना अनुसार, एशियाई बैंकों ने अपने भंडार के 5 % हिस्से को सोने में बदल दिया। इन बैंकों में चीन, भारत और इंडोनेशिया शामिल हैं। ETF में भी बड़ी राशि प्रवाहित हुई – अक्टूबर की पहली दो हफ्तों में भारतीय सोने के ETF में 3.5 बिलियन रुपये का शुद्ध इनफ़्लो दर्ज हुआ।

भविष्य की संभावनाएँ और संभावित प्रभाव
विशेषज्ञों का मानना है कि यदि कीमतें ₹1,35,000 के ऊपर टिकती हैं, तो अगले महीने के अंत तक नई उच्चतम सीमा बन सकती है। हालांकि, यदि अमेरिकी फेड अभी भी दवाब में रहता है और डॉलर फिर से मजबूती दिखाता है, तो यह समर्थन स्तर टूट सकता है। एक संभावित जोखिम है कि उत्सव‑सीज़न में खरीदारों की शक्ति कम हो जाए, जिससे अल्पकालिक गिरावट आ सकती है।
फिर भी, दीर्घकालिक दृष्टिकोण सकारात्मक है। सोना अभी भी महंगाई के खिलाफ सबसे भरोसेमंद हेज माना जाता है, और 24‑कैरेट के रूप में निवेश उत्पादों की माँग लगातार बढ़ रही है। भारतीय उपभोक्ता वर्ग में जीएसटी कटौती और कम महंगाई ने खरीदारियों को प्रोत्साहित किया है, जिससे ज्वेलरी सेक्टर के राजस्व में 10‑15 % की वृद्धि होने की संभावना है।
- मुख्य कीमतें (अक्टूबर 2025): 24‑कैरेट ₹1.28 लाख/10 ग्राम, सिल्वर ₹1.85 लाख/किग्रा
- अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सोना $4,227/औंस, 58 % YTD बढ़ोतरी
- मुख्य समर्थन स्तर: ₹1.21 लाख/10 ग्राम, मुख्य प्रतिरोध: ₹1.30‑1.35 लाख
- केंद्रीय बैंक खरीदारी: एशिया में 5 % भंडार सोने में बदलना
- ETF प्रवाह: अक्टूबर में INR 3.5 बिलियन शुद्ध इनफ़्लो
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
धंतैरा के बाद सोने की कीमतों में इतनी तेज़ी क्यों आई?
धंतैरा के बाद उपभोक्ता भरोसे में वृद्धि हुई, जबकि डॉलर की निरंतर गिरावट और अमेरिकी फेड के दर‑कट की उम्मीदों ने सोने को सुरक्षित आस्थान बनाया। साथ ही, भारत में बँकें और ETF निवेशकों ने भारी खरीदारी की, जिससे कीमतें ऐतिहासिक स्तर पर पहुँच गईं।
केंद्रीय बैंकों की सोने में खरीदारी का भारत की अर्थव्यवस्था पर क्या प्रभाव पड़ेगा?
केंद्रीय बैंकों की खरीदारी भारतीय रुपये को स्थिर रखने में मदद करती है, क्योंकि सोना एक वैकल्पिक आरक्षित संपत्ति बन जाता है। इससे ब्याज दरों पर दबाव कम हो सकता है और निवेशकों का विश्वास बढ़ेगा, जिससे दीर्घकालिक आर्थिक विकास को सहारा मिलेगा।
अगर डॉलर फिर से मजबूत हो गया तो सोने की कीमतें क्या होंगी?
डॉलर की मजबूती आमतौर पर सोने की कीमतों को नीचे धकेलती है, क्योंकि सोना डॉलर काउंटरफॉर्मेट में उसके मूल्य को प्रभावित करता है। यदि फेड की नीतियां सख्त हो गईं और डॉलर 82 रुपये/डॉलर से आगे बढ़ गया, तो कीमतें समर्थन स्तर ₹1.21 लाख के आसपास संकोच कर सकती हैं।
आगामी दीवाली सीज़न में निवेशकों को क्या रणनीति अपनानी चाहिए?
यदि निवेशकों को वर्तमान उच्च कीमतों से डर नहीं लगता, तो वे छोटे वजन के सोने के सिक्के या गोल्ड ETF में निवेश कर सकते हैं। जो जोखिम‑प्रेमी हैं, वे अब तक के सर्वाधिक समर्थन स्तरों पर थोड़ा अधिक खरीद सकते हैं, जबकि सावधानी रखने वाले अपने पोर्टफोलियो को विविधतापूर्ण रखकर सोने की भागीदारी को 10‑15 % तक सीमित कर सकते हैं।