चैम्पियंस ट्रॉफी 2025: साउथ अफ्रीका ने कॉर्बिन बॉश को स्क्वॉड में लिया, नॉर्टजे बाहर; क्वेना मफाका ट्रैवलिंग रिज़र्व

चैम्पियंस ट्रॉफी 2025: साउथ अफ्रीका ने कॉर्बिन बॉश को स्क्वॉड में लिया, नॉर्टजे बाहर; क्वेना मफाका ट्रैवलिंग रिज़र्व

रिपोर्ट: विजयेंद्र

एनरिच नॉर्टजे की पीठ फिर जवाब दे गई और साउथ अफ्रीका ने उन्हें चैम्पियंस ट्रॉफी 2025 से बाहर कर दिया। उनकी जगह ऑलराउंडर कॉर्बिन बॉश 15-सदस्यीय स्क्वॉड में शामिल किए गए हैं। कप्तान टेम्बा बवुमा इस अभियान की अगुवाई करेंगे, जबकि 18 वर्षीय तेज गेंदबाज क्वेना मफाका ट्रैवलिंग रिज़र्व के तौर पर टीम के साथ रहेंगे। पाकिस्तान और यूएई में 19 फरवरी से 9 मार्च के बीच होने वाले टूर्नामेंट में साउथ अफ्रीका तीसरे नंबर की ODI टीम के रूप में उतरेगी।

चयन कमेटी ने अनुभव और तरोताजा ऊर्जा का मिश्रण रखा है—ड्रेसिंग रूम में डेविड मिलर, कगिसो रबाडा, केशव महाराज जैसे सीनियर हैं, तो वहीं रयान रिकेलटन, टोनी डी ज़ॉर्जी और वियान मुल्डर जैसे खिलाड़ी अपने पहले बड़े ICC टूर्नामेंट का दबाव समझेंगे। कॉर्बिन बॉश की एंट्री टीम को बैटिंग डेप्थ और मिडिल ओवरों में सीम-अप ऑप्शन दोनों देती है।

स्क्वॉड, बदलाव और मायने

घोषित 15 सदस्यीय स्क्वॉड इस प्रकार है:

  • टेम्बा बवुमा (कप्तान)
  • कॉर्बिन बॉश
  • टोनी डी ज़ॉर्जी
  • मार्को जैनसन
  • हाइनरिख क्लासेन
  • केशव महाराज
  • एडन मार्कराम
  • डेविड मिलर
  • वियान मुल्डर
  • लुंगी एन्गिडी
  • कगिसो रबाडा
  • रयान रिकेलटन
  • तबरेज़ शम्सी
  • ट्रिस्टन स्टब्स
  • रासी वैन डर डूसन

ट्रैवलिंग रिज़र्व: क्वेना मफाका।

नॉर्टजे की अनुपस्थिति सीधी बात है—150 किमी/घंटा की रफ्तार, नई गेंद पर स्ट्राइक, और डेथ ओवर्स में तीखी शॉर्ट बॉल—इन सबकी कमी खलेगी। अब रबाडा लीड स्पीयरहेड होंगे, जिन्हें एन्गिडी का शोल्डर मिलेगा। जैनसन नई गेंद और नीचे के क्रम में रन दोनों देंगे, जबकि बॉश और मुल्डर मिड-ओवर्स में आक्रामक लाइन से कंट्रोल बनाने की कोशिश करेंगे।

कॉर्बिन बॉश पिछले कुछ समय में घरेलू वन-डे और SA20 में लगातार उपयोगी रहे हैं। उनका सफर आईपीएल में राजस्थान रॉयल्स के साथ जुड़ाव तक पहुंचा, जहां उन्हें फ्रैंचाइज़ी सेट-अप का अनुभव मिला। बैटिंग में वे 6-7 नंबर पर स्ट्राइक-रोटेशन और फास्ट फिनिश दे सकते हैं, वहीं गेंद से 135-140 की रफ्तार पर हिट-द-डेक लेंथ उनकी पहचान है।

क्वेना मफाका का नाम बतौर ट्रैवलिंग रिज़र्व चर्चा में है। बाएं हाथ के युवा तेज गेंदबाज ने अंडर-19 स्तर पर धमाकेदार प्रदर्शन से सुर्खियां बटोरी थीं। उनके पास एयर के साथ-साथ पिच से स्किड मिलता है, जो एशियाई कंडीशंस में उपयोगी हो सकता है। पर नियम साफ है—ट्रैवलिंग रिज़र्व तभी खेल सकता है जब किसी चोटिल खिलाड़ी के रिप्लेसमेंट को औपचारिक मंजूरी मिले।

पहले बड़े ICC टूर्नामेंट में कदम रखने वाले मुल्डर, डी ज़ॉर्जी और रिकेलटन के लिए ये मानसिक परीक्षा भी है। नॉकआउट टूर्नामेंट में हर ओवर की कीमत बढ़ जाती है। ऐसे में बवुमा, मार्कराम और मिलर जैसे सीनियरों का शांत दिमाग और क्लासेन की मैच-फिनिशिंग काबिलियत फर्क डाल सकती है।

रणनीति, संभावित संयोजन और ग्रुप मैच

रणनीति, संभावित संयोजन और ग्रुप मैच

बैटिंग ऑर्डर की तस्वीर कुछ यूं दिखती है—टॉप पर बवुमा के साथ डी ज़ॉर्जी या रिकेलटन, नंबर-3 पर मार्कराम, उसके बाद वैन डर डूसन। मिडिल ऑर्डर में क्लासेन और मिलर फायरपावर देंगे। 7 पर जैनसन टीम की बैटिंग को लंबा खींचते हैं। हालात के मुताबिक 8 पर मुल्डर या बॉश—यह फैसला पिच की स्पीड और टीम को चाहिए अतिरिक्त बैटिंग या गेंदबाजी, इस पर निर्भर करेगा।

विकेटकीपिंग में क्लासेन पहले विकल्प हैं; रिकेलटन दूसरी चॉइस के तौर पर मौजूद हैं। स्टब्स ने टी20 में कीपिंग की है, पर ODI में उनकी भूमिका बैटिंग-फ्लोटर की ही लगती है।

स्पिन अटैक में महाराज कंट्रोल और पावरप्ले के ओवर देंगे, जबकि शम्सी को बीच के ओवरों में स्ट्राइक-रोटेशन तोड़ने और लेफ्ट-राइट कॉम्बिनेशन पर अटैक करने की जिम्मेदारी मिलेगी। एशियाई कंडीशंस में यह जोड़ी मैच-टू-मैच अलग तरीके से उपयोग होगी—कराची में स्लो-लो पिच होने पर दोनों एक साथ, रावलपिंडी में पेस मददगार दिखे तो एक स्पिनर कम।

पावरप्ले में रबाडा-जैनसन की जोड़ी नई गेंद को मूव कराती है। मिड-ओवर्स में एन्गिडी की हार्ड-लेंथ और बॉश/मुल्डर का सीधा-सादा प्लान रन-रेट थामेगा। डेथ ओवर्स में रबाडा की हार्ड-यॉर्कर और क्लेवर स्लोअर-वन की अहमियत होगी। नॉर्टजे की जगह एक्स्ट्रा गति भले कम हो, पर वेरिएशन और डेप्थ बढ़ी है।

ग्रुप स्टेज में साउथ अफ्रीका को तीन बड़े मुकाबले खेलने हैं:

  • 21 फरवरी, कराची: बनाम अफगानिस्तान — स्पिन-भरी चुनौती और पावर-हिटिंग की टक्कर।
  • 25 फरवरी, रावलपिंडी: बनाम ऑस्ट्रेलिया — तेज गेंदबाजी की परीक्षा और टॉप-ऑर्डर की रेजिलिएंस का मैच।
  • 1 मार्च, कराची: बनाम इंग्लैंड — हाई-टेम्पो ODI, जहां फिनिशिंग और डेथ ओवर्स तय करेंगे।

कराची में शाम की ओस बल्लेबाजी को आसान बना सकती है, इसलिए टॉस का असर बढ़ेगा। रावलपिंडी की पिच पर नई गेंद स्विंग कर सकती है, ऐसे में टॉप ऑर्डर का शुरुआती 10 ओवर पार करना निर्णायक रहेगा।

इतिहास भी दिमाग में रहेगा। साउथ अफ्रीका ने 1998 में इसी टूर्नामेंट (तब ICC नॉकआउट) में खिताब जीता था। उसके बाद से कोई बड़ा ICC ट्रॉफी नहीं। 2024 टी20 वर्ल्ड कप के फाइनल में मामूली अंतर से हार ने टीम को तपा दिया है—अब यही आग 50-ओवर की रणनीति में दिखानी होगी।

तैयारी के मोर्चे पर टीम मैनेजमेंट फिटनेस और रोल-क्लैरिटी पर फोकस कर रहा है। जैनसन का ऑलराउंड इम्पैक्ट, क्लासेन-मिलर की डेथ ओवर हिटिंग और बवुमा-मार्कराम की साझेदारियां—ये तीन स्तंभ दक्षिण अफ्रीका के अभियान को टिकाएंगे। संभावित प्लेइंग-इलेवन परिस्थितियों के हिसाब से बदलेगी, पर बेस टेम्पलेट कुछ यूं रह सकता है: बवुमा, डी ज़ॉर्जी/रिकेलटन, मार्कराम, वैन डर डूसन, क्लासेन (wk), मिलर, जैनसन, मुल्डर/बॉश, महाराज, रबाडा, एन्गिडी।

आखिरी बात—स्क्वॉड में बहुमुखी विकल्प बहुत हैं। यही फ्लेक्सिबिलिटी नॉकआउट टूर्नामेंट में अक्सर ट्रम्प-कार्ड बनती है। अब देखना यह है कि टीम सेलेक्शन और इन-गेम कॉल्स कितने चुस्त रहते हैं, क्योंकि ऐसे टूर्नामेंट में एक खराब सत्र भी कहानी बदल देता है।

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